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________________ ( १११ ) नो संबंध मले पर, बंध ते जातिना रे लो ॥ नावि तेह ज करे रे लो ॥ १६ ॥ ज० ॥ उत्तम मध्यमनुं इहां, कारण को नही रे लो, जाविधी को नहीं माह्यो जो ॥ ना जेहनी लागी लगन, तेहने ते सही रे लो, कोइ न रह्यो साह्यो जो ॥ १७ ॥ ज० ॥ मुजयी बानी गर, निशानी बुत्रीने रे लो, न पड़ी खबर को अंदरें लो ॥ ज० ॥ हवे शा विशासा द5, दिलासा पुत्रीने रे लो, ते हवे निज मंदिरें जो ॥ १८ ॥ ज० ॥ सुपि नृप हरख्यो जमाइ, परख्यो धीवरु रे लो, तुजी बल पुण्यवंतो लो ॥ ज० ॥ धीवर जाति थयो नृप, पांति शूरवरु रे लो, माहरी पुत्रीने संतो लो ॥ १५ ॥ ॥ ज० ॥ मुऊ नगरीनो लोक ए, धीवर जातिनो रे लो, जेहनी दुष्कृत करणी लो ॥ ज० ॥ कुल उ त्रीशें छत्री, वंशें नातिनो रे लो, ते थयो सुकृत कर श्री लो ॥ २० ॥ ज० ॥ रायमें रायां कविजनें, गाया चिहुं जगें रे लो, प्रबल ए पद ले जेहनुं लो ॥ ज० ॥ एहवो जमाई पुण्यवंत पाइ, जली वर्गे रे लो, देखूं दरि स तेहनुं लो ॥ २१ ॥ ज० ॥ इम नृप धारी मन शुं, विचारी प्रेष्यने रे लो, मूकुं नगरी विशाला जो ॥ ज० ॥ बेसी एकांतें लिखे हवे, खांतें लेखने रे Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003681
Book TitleHaribal Macchino Ras
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShravak Bhimsinh Manek
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1889
Total Pages294
LanguageGujarati
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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