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________________ (१३) वर कन्या कर मेला॥ २५॥ तो० ॥ हाजी पालव बांधी दोयना, हांजी फेरा फेरव्या चार ॥ तो॥हां जी वर कन्यायें आरोगीयो,हांजी सुंदर मिठो कंसार॥ ॥ २६ ॥ तो॥ हांजी जयसुंदरी परणावीने, दरिब लने दी● राज ॥ तो ॥ हांजी पायक सप्त लक्ष्य श्वनी, ठकुराइदीधि समाज ॥ २७ ॥ तो॥ हांजी जो जो नवियां पुण्यथी, लहि मही सुस्त माल ॥ तो॥ हांजी चोथा नन्नासनी ए कहि, शुज लब्धे आतमी ढाल ॥ २७ ॥ तो० ॥ ॥ दोहा ॥ ॥ मदनवेग हरखें करी, कीधो नन्नव सार ॥ सोनुं रूपुं सामटुं, वरसे ज्युं जलधार ॥१॥ जसपडहो वज डावियो, नगरी जमाडी सार ॥ हरिबलने राजें तव्यो, वरत्यो जय जयकार ॥२॥ बंदीजन मूक्या परा, आ णी मन उपगार ॥ आसीजन तृपता कखा, दाने देदे कार ॥३॥ पद महोडव अतिहे कस्या, राखी जुग लगें ख्यात ॥ हरिबल जे राजा थयो, चाली चिहुं दिशि वात ॥ ४ ॥ नगरी जन सदु हरखीयां, जव थयो हरिबल राय ॥ देश देशातरि नेटणां, ले आवे नृप धाय ॥ ५ ॥ इणिपरें पद महोत्सव करी, जे नृप मद Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003681
Book TitleHaribal Macchino Ras
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShravak Bhimsinh Manek
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1889
Total Pages294
LanguageGujarati
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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