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________________ (११) देशनां तेडां कीध ॥ तो ॥ हांजी सोवनमय चोरी रची, वर कन्या वरवा सुसि ॥ १७ ॥ तो॥ हांजी वाजिंत्र महोटे वाजते, हांजी वाजते यंत्र मृदंग ॥ ॥ तो० ॥ हांजी तत थे। नटु नाचता, हांजी करता नवनवा रंग ॥१॥तो॥ हांजी सोनागिणी साहेलीयो, मली सरखा सरखी बाल ॥तो॥ हांजी कोकिल खरें करी सोहली, जलां गावे गीत रसाल ॥ २० ॥ तो॥ हांजी ते गीत नादना स्वादथी, रहे थंनी अमर विमान ॥ तो० ॥ हांजी इणि परें नारी टोलें मली, ए तो गावे रूप निधान ॥ २१॥ तो॥ हांजी मंगल वाजां वाजते, हांजी गाजते गुहिर निशाण ॥ तो० ॥ हांजी इण आमबरें धीवरु, च ढयो परणवा चतुर सुजाण ॥ ११ ॥ तो ॥ हांजी अलबेला जानी थया, हांजी जाणीयें देवकुमार ॥ तो० ॥ हांजी हरिबलने परणाववा, हांजी श्राव्या नृप दरबार ॥ २३॥ तो॥ हांजी घणे बाबरें सो हता, हांजी करता नृत्य हजार ॥ तो॥ हांजी जीव दयाना प्रनावथी, बबे तोरण हरिबल सार ॥ २४ ॥ ॥ तो॥ हांजी प्रीतिमती पट्टरागिणी, तीर धूसरें पोखे जमा ॥ तो ॥ हांजी चोरीमां पधरावीयां, Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003681
Book TitleHaribal Macchino Ras
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShravak Bhimsinh Manek
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1889
Total Pages294
LanguageGujarati
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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