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कहो तो बडी अस्वारीगुं, खावुं तुमचे विसास ॥ ॥ ० ॥ ० ॥ ७ ॥ कहो तो सदु नगरी तणो, सघ लो यावे साथ ॥ स० ॥ यम राजाने नेटवा, यावे विशालानाथ ॥ सं० ॥ त० ॥ ८ ॥ इणिपरें विनती माहरी, यम नृपने करेय ॥ स० ॥ शीघ्रगतें तुम या वजो, यमनी रजा जेय ॥ स० ॥ त० ॥ ए ॥ तव सु र कहे ते रायने, नली कही तुमें गुज ॥ स० ॥ मुफ स्वामी यमनाथने, मेलवं मंत्री तु ॥ स० ॥ त० ॥ ॥ १० ॥ एम कही पडिहार ते, मागी नृपनी शीख ॥ स० ॥ बेो अगनी जालमां, सहु जन देखत ईख ॥ स० ॥ ० ॥ ११ ॥ मंत्री पण कालसेन ते, नृपने कीध जुहार ॥ स०॥ नगरी जन सहु साथने, प्रणमी करे मनुहार ॥ स० ॥ त० ॥ १२ ॥ बेठो च यनी जालमां, मंत्री पण तेणि वार ॥ स० ॥ सुर संगें कालसेन ते, मंत्री बली थयो बार ॥ स०॥ त०॥ ॥ १३ ॥ नगरी जन सहु देखतां मंत्री सुर थयो बार ॥ स०॥ जोतां खिरा एक पलकमें, पहोता यम दरबार || स० ॥ त० ॥ १४ ॥ नगरीजन नृप यदि ते, मंत्रीनी जोवे वाट ॥ स० ॥ जाणे मंत्री यावशे, यम जी करी गहगाट ॥ स०॥ ० ॥ १५ ॥ इलिपरें
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