SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 198
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ( १७६) टालुं परी || न० ॥ यमचं वधारी नेह, अमरपएं ते लहुँ खरी ॥ ९ ॥ न० ॥ नगरमां पडही वजाय, घरोघर लोकने नोतस्यां ॥ न०॥ नर नारी हर्ष नराय, यमघर जावाने परवस्था ॥ १० ॥ न० ॥ निर्धन वि रहिणी नार, बालरंगादि दो जागिया ॥ ० ॥ जाणे जम दरबार, जाइने थइयें सोना गियां ॥ ११ ॥ ०॥ वां जीया वांढा बेकार, दुःखीया स्त्री सुत कारणें ॥ ॥ न० ॥ ते पण नमह्या अपार, जावाने यम बा रणें ॥ १२ ॥ न० ॥ रोगीने दुःखीया जेह, लुला दूं टा ने पांगला ॥ ० ॥ कोढीया काला तेह, काणा कों चाने प्रांधला ॥ १३ ॥ न०॥ बाल तरुण जे वृद्ध, सऊ ययां मोकर मोकरी ॥ न० ॥ अमर पदवी पर सिद्ध, जे खावो यमने नोरो करी ॥ १४ ॥ न० ॥ इक इकनी माहोमांहे, उपरा उपर पडी वहे || न० ॥ जावाने स्वर्ग वाह, जमण लाडु खावा गह गहे ॥ ॥ १५ ॥ न० ॥ इणिपरें नगरीनां लोक, यमनणी जावाने हलफले ॥ न० ॥ नृप पण यम सारु ढोक, लेने नृप पण नीकले ॥ १६ ॥ न० ॥ अंतेवरी पण साथ, नृप संगें करी परवरी ॥ न० ॥ नेटवा ते य मनाथ, त्रीश नृपकुली संचरी ॥ १७ ॥ न० ॥ धक Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003681
Book TitleHaribal Macchino Ras
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShravak Bhimsinh Manek
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1889
Total Pages294
LanguageGujarati
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy