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________________ ( १७५ ) तुमची नावे जोड | वि० ॥ तुम सुघडाइ देखीने रे, वाध्यो मोहनो बोड ॥ ३ ॥ वि० ॥ ते दिनथी नवि वीसरो रे, दो नारी तुमें चित्त ॥वि०॥ जीव रहे चरणां बुजें रे, तुमचे विहड हीत ॥ ४ ॥ वि० ॥ ज्युं धरे ध्यान जोगीसरा रे, तिम धरूं तुमचो ध्यान ॥ वि० ॥ सास उसासमें सांजरो रे, शत वार तुम गुण थान ॥ ॥ ५ ॥ वि० ॥ ते गुणनो लीनो थको रे, थाव्यो बुं धरी हूंश ॥ वि० ॥ एहमां जूठ न जाणजो रे, सत्य कहुँ तुम सूंस ॥ ६ ॥ वि० ॥ कां न करशो शोचना चतुर तु गुणधाम ॥ वि० ॥ वाली सुधारस सां मली रे, यो मन सुख अभिराम ॥ ७ ॥ वि० ॥ सन धन जोबन पामीने रे, लीजें मनुनव लाह ॥ वि० ॥ पामी अवसर नूलशे रे, तस रहेशे दिन दाह ॥ ८ ॥ वि०॥ यौवनवथ सुख पामीने रे, जे नही माणे पूर ॥ वि०॥ वममां कुसुम तणी परें रे,ते रहेशे मन फूर ॥ ॥९॥वि॥ जीवित सूधी तुम तणुं रे, पालगुं निशिदिन वेण ॥ वि० ॥ हरिबलनी परें राखनुं रे, तन मन क रीने सेा ॥ १० ॥ वि० ॥ तुम श्रम व कोइ वातनो रे, वहेरो न राखियें कोय ॥ वि०॥ मुक मन प्राणनि कुंज में रे, राखुं तुमने दोय ॥ ११ ॥ वि० ॥ माहारी roll Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003681
Book TitleHaribal Macchino Ras
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShravak Bhimsinh Manek
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1889
Total Pages294
LanguageGujarati
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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