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(१५३) दीसंता जडधार ॥ धनद नंमारी सारिखा, राखे वड व्यवहार ॥ ७ ॥
॥ ढाल बही॥ ॥सूदारण जायो दीकरो॥सोनागी हे॥आयो मास वसंत के॥लाल सोनागी हे ॥ ए देशी ॥ माहाजन साथें सहू मली ॥ सो० ॥ पहेरी जला शणगार के ॥सा॥ निज निज घरनां नेटणां ॥ सो॥ले आ या दरबार के ॥ ला॥१॥ श्रीवंत श्रीमंत सातशें ॥ सो० ॥ शंकर शंजु सगाल के ॥ला ॥ सूरचंद सूरो सूरजी ॥सो ॥ सोनागी सुंदर साल के ॥ ॥ला ॥२॥ मानो मीठो मालजी ॥ सो० ॥ मा एक मोतीलाल के ॥ला ॥ जेठो जगसी जीवो ॥ सो ॥ जगजीवन जगमाल के ॥ ला ॥३॥ थानो योनण थावरु ॥ सो ॥ नाणो जीमो जवा न के ॥ला ॥ कीको केशव करमसी ॥ सो० ॥ क व्याण करमी कान के ॥ला ॥४॥ दूदो देवो देव सी॥ सो०॥ दीपो दानो दयाल के ॥ ला ॥ प्रेमो प्रेमजी पोमसी ॥सो॥ पूरो ने पुण्य पाल के ॥ ॥सा॥५॥ नेणो नेगसी नागजी ॥ सो० ॥ ना थो नथमल नील के ॥ला ॥ रेवो रवजी रंगजी ॥
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