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(६ए) आंख लगाइ उःखमदेलके, जरूखे फूली हो ॥पीया॥१॥ दसती तबह बिरानीया, देखी तन मन बीज्यो दो॥ समजी तब एती कदी, कोइनेद न कीज्यो हो।पी॥२॥ प्रीतम प्राणपति विना, प्रिया कैसें जीवे दो॥ प्रान पवन विरदा दशा, जुयंगम पीवे दो॥पीया ॥३॥ शीतल पंखा कुमकुमा,
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