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तेरो आगम गम प्रथाद
॥वि० ॥ ए प्रकणी ॥ बिनु आधे आधा नहीं रे, बिना आधार ॥ मुरगी बिन इंडा नहीं प्यारे, या बिन मुरगकी नार ॥वि०॥२॥ मुरटा बीज विना नहीं रे, बीज न जुरटा टार ॥
निसि बिन दिवस घटे नहीं प्यारे, दिन बिन निसि निरधार | वि०२ | सिद्ध संसारी बिन नहीं रे,
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