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आनंदघन प्रभु प्रवशे, सेजमी रंग रोला ||निश॥ ५ ॥
॥ पद सत्तरमुं ॥ राग सोरठ ॥ बोराने क्युं मारे बे रे, जाये काट्या डे || बोरो बे महारो बालो नोलो, बोले वे अमृत वेण ॥ बोरा०॥१॥ लेय लकुटियां चालण लागो, अब कांइ फूटां वे नेण ॥ तुं तो मरण सिराणें सूतो,
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