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(२५) ॥पद पंदरमुं॥राग सारंग॥ मेरे घट ग्यान जानुभयो जोर ॥
मेरे ॥ चेतन चकवा चेतन चकवी, नागो विरदको सोर॥मेरे॥१॥ फैलीचिहुंदिस चतुरानावरुचि, मिट्यो नरम तम जोर ॥ आपकी चोरी आपदी जानत, और कदत न चोर॥ मेरे॥२॥ अमल कमल विकचनये नूतल, मंद विषय शशिकोर ॥
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