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(२४) आय उपाय करो चतुराइ, औरको संग निवारो॥ ॥२॥ तृष्णा रांगनांडकी जाइ, कदा घर करे सवारो॥ श ठग कपट कुटुंबदी पोखे, मनमें क्युं न विचारो (पागंतर) उनकी संगति वारो॥ ॥॥ कुलटा कुटिल कुबुधि संग खेलके, अपन पत क्युं दारो॥
आनंदघन समता घर आवे, वाजे जीत नगारो॥ ॥३॥
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