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(१२) ककयो धावत जगतमें, रदे बूटो इक ठगेर ॥१॥
॥राग आशावरी॥ अवधू क्या सोवे तन मठमें, जागविलोकन घटमें।अवधू॥
ए आंकणी॥ तन मठकी परतीत न कीजें, ढदि परे एक पलमें ॥ हलचल मेटि खबर ले घटकी, चिह्नरमता जलमें।अवधूणा॥ मठमें पंच नूतका वासा,
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