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( ११ )
पर्यकासन वासी ॥ रेचक पूरक कुंजक सारी, मन इंडिय जयकासी॥मा०॥४॥ थिरता जोग युगति अनुकारी, आपो आप विमासी ॥ प्रातम परमातम अनुसारी, सीके काज समासी ॥मा ॥ ५ ॥
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॥ पद सातमुं ॥ साखी ॥ जग आशा जंजीरकी, गति उलटी कुल मोर ॥
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