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(३२०) एहवा पण दृढधारी हियामें, अन्य घार नाद जाजंगी॥
सु०॥१॥ सुंदर सुरंग सलूनी मूरत, निरख नयन सुख पाउंगी।
सु० ॥३॥ चंपा चंबली आन मोघरा, अंगियां अंग रचालंगी॥
सु० ॥३॥ शीलादिक शणगार सजी नित्य,
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