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( ३१२ )
गरजत घन प्रति घोर ॥ वालम० ॥ १ ॥
चम चम चम चम चमकत चपला, मोर करत मिल सोर ॥
वालम० ॥ २ ॥
उमंग चली सरिता सायर मुख, मर गए जल चिहुं ओर ॥
वालम० ॥ ३ ॥
नवी अटारी रयण अंधारी, विरदी करत ककजोल ॥
वालम ० ॥ ४ ॥
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