________________
(३०ए) चित्तमें धरो एती शीख हमारी प्यारे, अब चित्तमें धरो॥
ए आंकणी॥ थोडासाजीवनके काज अरे नर, कादेकू बल परपंच करो॥
एती० ॥१॥ हारेकूडकपट परोह करत तुम, अरे नर परनवथीन डरो॥
एती॥२॥ चिदानद जो ए नहीं मानो तो,
Jain Educationa Inteffratləbsonal and Private Useverly.jainelibrary.org