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(२ ) चिदानंद सुमता रस मेवा, दिल मिल खावो री॥ सहज श्याम घर आए, सखी मुख दोरी गावो री॥
सखी० ॥५॥
॥ पद अडतालीशमुं॥
॥राग जंगलो काफी॥ ॥ जगमें नहीं तेरा कोई, नर देखहु निदचेंजोई॥जग॥
ए आंकणी॥
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