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(२७) बहुरि न दोय नव फेरा रे॥
अनु० ॥२॥
॥ पद सुडतालीशमुं ॥
॥ राग काफीनी दोरी॥ ॥ एरिमुख दोरी गावो री, सहज श्याम घर आए॥ सखीमुख० ॥ ए आंकणी॥ नेद ज्ञानकी कुंजगलनमें, रंगरचावो॥सखी मुख०॥२॥ शु६ श्रान सुरंग फूलके,
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