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() निज स्वनावमें रहीयें रे॥
विषय० ॥७॥ ॥ पद बेंतालीशमुं॥
॥राग नैरव ॥ ॥अजित जिनंद देव, थिर चित्त ध्याईयें ॥०॥ थिर चित्त ध्यायें, परम सुख पाईयें ॥ अजि ॥
- ए आंकणी॥ अति नीको नाव जल,
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