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(२३) खोज जाय जगमे तोपण ते, सहुथी बडे कहावे रे॥
ऐसा ॥५॥ अथवा नर नारी नपुंसक, सहकी ए माता रे॥ षटमत बाल कुमारी बोलत, ए अचरिजकी बाता रे॥
ऐसा०॥६॥ लोक लोकोत्तर सहु कारजमें, या बिन काम न चाले रे॥ चिदानंद ए नारीशुं रमण,
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