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चार ज्ञान ताके सोत, उपमा अनूपकी ॥ जा० ॥ २ ॥
उलट पलट धुव जान, सत्ता में बिराजमान | शोभा नांदि कही जात, चिदानंद नूपकी ॥ जा० ॥ ३ ॥
॥ पद चाली शमुं ॥ राग प्रजाती ॥ || ऐसा ग्यान विचारो प्रीतम, गुरुमुख शैली धारी रे ॥ ऐ० ॥ एकणी ॥
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