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( २६८ )
सकल मुख धोवणां ॥ चा०॥२॥
सुरनिके बंध बूटे, धूवड जये अपूवे ॥ ग्वाल बाल मिलकें, बिलोवत वलोवणां ॥ चा० ॥२॥
तज परमाद जाग,
तूंजी तेरे काज लाग ॥ चिदानंद साथ पाय, वृथा न आयु खोवणां ॥ चा०|३|
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