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( २६७ )
पीठें पिबतावो याय ॥ चिदानंद निदचें,
ए मान कहा मेरा ॥ जा० ॥ ३ ॥
॥ पद आडत्री शमुं ॥ राग भैरव ॥ ॥ चालणां जरूर जाकूं, ताकूं कैसा सोवणां ॥ चा० ॥ ए प्रकणी ॥
नया जब प्रातःकाल, माता धवरावे बाल | जग जन करत दे,
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