________________
( 4 )
राचत बांद गगन बदरी री ॥ आइ अचानक काल तोपची, गदेगो ज्युं नादर बकरी री ॥ जीय० ॥ २ ॥
प्रतिदीच्यचेत कबु चेतत नांदि, पकरी टेक दारिल लकरी री ॥ आनंदघन दीरो जन बांमी, नर मोह्यो माया ककरी री ॥ जीय० ॥ ३ ॥
॥ पद चोथुं ॥ राग वेखावल ॥
Jain Educationa InternatiBeasonal and Private Usew@nly.jainelibrary.org