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(२५५) मारगहुमें त्यागे॥5॥३॥ मदनक गक गदेल तज विरला, गुरु किरपा कोन जागे॥ तन धन नेद निवारी चिदानंद, चलीयें ताके सागे॥॥४॥
॥पदबत्रीशमुंगरागाशावरी॥ ॥ अवधूपियो अनुन्नव रस प्याला, कदत प्रेम मतिवाला ॥
___अ॥ए आंकणी॥
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