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(३)
॥ पद बीजुं॥ ॥राग वेलावल॥ एकताली॥ रे घरियारे बानरे, मत घरीय बजावे॥ नर सिर बांधत पाघरी, तुंक्याघरीय बजावे॥रे॥२॥ केवल काल कला कले, वै तुं अकल न पावे॥ अकल कला घटमें घरी, मुजसो घरी नावे॥रे॥शा प्रातम अनुनव रस नरी,
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