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देत पहोरीयां घरीय घाउ रे॥
. क्या० ॥१॥ इंड चंड नागिं मुनिं चले, कोण राजापति साद राज रे॥ नमत जमत नवजलधि पायकें, नगवंतनजन विननाउनानरे।
क्या० ॥३॥ कदा विलंब करे अब बाउरे, ॥ तरीनवजलनिधि पार पाउरे आनंदघन चेतनमय मूरति, शुक्ष निरंजन देवध्याउरेक्या
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