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(३७) धारत नांदी नेक अनारी॥ .
प्री०॥४॥ कदत विवेक सुमति सुण जिम तिम,आतुर दोयने बोलत प्यारी॥चिदानंद निज घर आवेंगे, दोय दिनोमें उमर सारी॥
प्री० ॥५॥ ॥ पद बवीशमुं॥ ॥राग आशावरी तथा गोमी॥ ॥अवधू निरपद विरला कोइ॥
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