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(१०) अति घेट मुंडावे॥ जटाजूट शिर धारके, कोज कान फरावे ॥ जो॥३॥ जर्व बाह अधोमुखें, तन ताप तपावे ॥ चिदानंद समज्या विना, गिणती नवि आवे॥ जोगा।
॥पद बारमुं॥राग वेलावल॥ ॥आज सखी मेरे वालमा, निज मंदिर आये।
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