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( २० )
॥ पद गीरमुं ॥ ॥ राग वेलावल ॥
॥ जोग जुगति जाएया विना, कदा नाम धरावे ॥ रमापति कहे रंककूं,
धन दाथ न खावे ॥ जो० ॥ १ ॥ ख घरी माया करी, जगकूं नरमावे ॥ पूरण परमानंदकी, सुधि रंचन पावे ॥ जो० ॥ २ ॥ मन मुंड्या विन मुंडकूं,
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