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(१३) मान काम दोन मामा॥ मोद नगरका राजा खाया, पीही प्रेम ते गामा॥॥३॥ नाव नाम धस्यो बेटाको, मदिमा वरण्यो न जाय॥ आनंदघनप्रनुनाव प्रगटकरो, घट घट रह्यो समाशाअ॥४॥ ॥पद एकसो उमुं॥राग नह॥ ॥ किन गुन जयो रे उदासी
जमरा ॥ कि०॥ पंख तेरी कारी मुख तेरा पीरा,
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