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(११) इटक न एक तिल कोर ॥ दाथी आप मने अरे, पावे न मदावत जोरद०॥३॥ सुन अनुन्नव प्रीतम बिना, प्रान जात इह गंदि॥ है जन आतुर चातुरी, दूर आनंदघननांदि॥॥
॥ पद एकसो पांचमुं॥
॥राग आशावरी॥ ॥अवधू वैराग बेटा जाया,
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