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फिर फिर देखा जानं ॥ दवी० ॥ ए की ॥
बयल बबीली प्रिय बबि, निरखित तृपति न ढोइ ॥ नट करिंडक हटकू कजी, देत नगोरी रोइ ॥ ६० ॥ १ ॥ मांगर ज्यों टमाके रही, पीप सबी के धार ॥ लाज डांग मनमें नहीं, काने पबेरा डार ॥ ६० ॥ २ ॥ चपटक तनक नदी काढूका,
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