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आनंदघन कदे सुनो नाइसाधु तो, ज्योतसें ज्योत मिलाई ॥
अवधू ॥ ६ ॥
||पद एकसो मुं॥राग आशावरी ॥ ॥ बेदेर बेदेर नहीं आवे, अवसर बढेर बेदेर नहीं आवे ॥ ज्युं जाणे त्युं कर ले जलाई, जनम जनम सुख पावे ॥ अव० १ तन धन जोबन सवदी जूगे, प्राण पलक में जावे ॥ व ॥२॥
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