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( १६६) तुमे त्यो नगवंतको नाम रे ॥
ऐसे जिन ॥४॥ ॥ पद बन्नुमुं ॥राग धन्याश्री॥ ॥अरी मेरो नादेरी अतिवारो॥ मैं ले जोबन कित जालं, कुमति पिता बंनना अपराधी, नन वाद व जमारो।अरी॥२॥ जलो जानीके सगाई कीनी, कौन पाप उपजारो॥ कहा कदीये इन घरके कुटुंबते,
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