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(१५) कहा कहुं कबु कदत न आवत, बिन सेजा क्युं जीजे॥ सोढुं खा सखी काहु मनावो,
आपदी आप पतीजेंदिरिश देनर देरानी सासु जेठगनी, युंदी सब मिल खीजें॥
आनंदघनविनप्राननरदेबिन, कोमी जतन जो कीजोंदरि। ॥ पद त्राणुंमुं॥राग सोरठ ॥ ॥मुने मदारा माधवीयाने मल
वानो कोम॥ ए देशी॥
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