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वरजो क्युं न आपके मित्त ॥ वि० ॥ टेक ॥
कदा निगोडी मोहनी दो, मोढत लाल गमार ॥ वाके पर मिथ्या सुता हो, रीज पडे कदा यार || वि० ॥ १ ॥ क्रोध मान बेटा नये दो, देत चपेटा लोक ॥ लोन जमाइ माया सुता दो, एद बढ्यो परमोक ॥ वि० ॥२॥ गइ तिथिकूं कदा बंत्रणा दो,
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