________________
( १३५ ) संत सयाने कोय बतावे, आनंदघन गुनधाम ॥द ॥ ३ ॥
啦
॥ पद प्रोतेरमुं ॥ राग रामग्री ॥ । जगत गुरु मेरा में जगतका चेरा, मिट गया वाद विवादका घेरा ॥ ज० ॥ १ ॥
गुरुके घरमें नवनिधि सारा, चेलेके घर में निपट अंधारा
॥ ज० ॥
गुरुके घर सब जरित जराया,
Jain Educationa InternatiBeasonal and Private Usev@nly.jainelibrary.org