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( हेतो)
॥पद पंचावनमुं ॥ राग धन्याश्री ॥ चेतन खापा कैसें लदोइ ॥ चे०॥ . सत्ता एक प्रखंड अबाधित, इद सिांत पख जोइ ॥ चे० ॥ २ ॥ अन्वय अरु व्यतिरेक देतुको, समज रूप म खोइ ॥ प्रारोपित सर्व धर्म और है, आनंदघन तत सोइ ॥ ० ॥२॥
॥पद बप्पनमुं ॥ राग धन्याश्री ॥ बालुडी अबला जोर किश्युं करे,
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