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(1) एक निसि प्रीतम नांचंकी दो. विसर गइ सुध नान॥ चातक चतुर विना रही हो, पीउ पीन पीन पीन पाउ॥
नाउं ॥३॥ एक समे आलापके दो, कोने अडाने गान॥ सुघर बपीदा सुर धरे दो, देत है पीन पीन तान ।।
नाडु०॥४॥ रात विनाव विलात है दो,
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