________________
(४) कौन सेन जाने पर मनकी, वेदन विरद अथाद ॥ थरथर धूजे देदडी मारी, जिम वानर नरमाद रे॥
मुने कोय० ॥॥ देद न गेद न नेद न रेद न, नावे न दूदा गादा ॥
आनंदघन वालो बांदडीकाले, निशदिन धरूं उमादा रे॥
मुने कोय० ॥३॥
Jain Educationa Inteffati@easonal and Private Usevenly.jainelibrary.org