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(१) केणे केसैं लपेटी॥ एकपखो में कोई न देख्यो, वेदन किणहीन मेटी।माया। राम नणी रदीमान नणाइ, अरिहंत पाठ पढाइ॥ घर घरने हुँ धंधे वलगी, अलगीजीव सगाशामाया केणे ते थापी केणे जयापी, केणे चलावी किण राखी॥ केणे जगाडी केणे सूडी, कोश्नुकोइन विसाखीमाय०५
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