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॥ पद अडतालीशमं ॥ ॥ राग मारु - जंगलो ॥ मायमी मुने निरपख किादीन मूकी || निरपख० ॥ माय० ॥ निरपख रदेवा घणुंदी जूरी, धीमे निज मति फूंक ॥ माय०1१॥ योगीए मलीने योगण कीनी, यतिए कीनी यतणी ॥ नगते पकडी जगताणी कीनी, मतवाले कीनी मतण॥॥ माय ०२ केणे मूकी केणे लूंची,
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