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॥श्री॥
श्री लोकाशाह मत-समर्थन गुजराती संस्करण पर प्राप्त हुई
सम्मतियाँ
- (१) भारत रत्न शतावधानी पंडित मुनिराज श्री रत्नचन्द्रजी महाराज और उपाध्याय कविवर मुनि श्री अमरचन्दजी महाराज साहब की सम्मति -
"लोकाशाह मत-समर्थन" अपने विषय की एक सुन्दर पुस्तक कही जाती है, लोंकाशाह के मन्तव्यों पर जो इधर उधर से आक्रमण हुए हैं, लेखक ने उन सब का सचोट उत्तर देने का प्रयत्न किया है
और लोंकाशाह ने मंतव्यों को आगम मूलक प्रमाणित किया है। उदाहरण के रूप में जो मूल पाठ दिए हैं वे प्रायः शुद्ध हैं।
मतभेदों को एकान्त बुरा नहीं कहा जा सकता और उन पर कुछ विचार चर्चा करना यह तो बुरा हो ही कैसे सकता है? जहाँ मिठास के साथ यह कार्य होता है वह उभय पक्ष में अभिनंदनीय होता है और आगे चलकर वह मत भेदों को एक सूत्र में पिरोने के लिए भी सहायक सिद्ध होता है। हम आशा करेंगे कि - इस चर्चा में रस लेने वाले उभय पक्ष के मान्य विद्वान् इस नीति का अवश्य अनुसरण करेंगे।
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