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श्री लोकाशाह मत-समर्थन
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हुण्डी की स्थापना हुण्डी की नकल यानी प्रतिलिपि है, यदि कोई मनुष्य हुण्डी की नकल करके उससे रुपये प्राप्त करने जाय तो वह निराश होने के साथ ही विश्वासघातकता के अभियोग में कारागृह का अतिथि बन जाता है। अतएव यह सत्य समझिये कि हुण्डी स्वयं भाव निक्षेप में है किन्तु स्थापना में नहीं, स्थापना में तो हुण्डी की नकल है जो हुण्डी के बराबर कार्य साधक नहीं होती।
२१. नीट मूर्ति नहीं है प्रश्न - नोट तो रुपयों की स्थापना ही है, उनसे जहां चाहे रुपये मिल सकते हैं, इसमें आपका क्या समाधान है?
उत्तर - जिस प्रकार हुण्डी भाव निक्षेप है वैसे ही नोट भी भाव निक्षेप में है, स्थापना में नहीं। प्रथम आपको यह याद रखना चाहिये कि सिक्के एक प्रकार के ही नहीं होते। सोने, चांदी, तांबा, कागज आदि कई प्रकार के होते हैं। जैसे रुपया, अठन्नी, चौअन्नी, दुअन्नी, इकन्नी यह चांदी या मिश्रित धातु के सिक्के हैं, वैसे ही तांबे के पैसे, सोने की गिन्नी, मोहर आदि कागज के नोट ये सब सिक्के हैं। प्रत्येक सिक्का अपने भाव निक्षेप में है, किसी की स्थापना नहीं। इनमें से किसी एक को भाव और दूसरे को उसकी स्थापना कहना अज्ञता है। - नोट का स्थापना निक्षेप नोट की प्रतिलिपि है वैसे ही रुपये का चित्र रुपये की स्थापना है। रुपये, स्वर्ण मुद्रिका या नोट के अनेकों चित्र रखने वाला कोई दरिद्र, निर्धन, धनवान नहीं बन सकता, अधिक तो क्या एक पैसे की भी वस्तु नहीं पा सकता, किन्तु उलटा
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