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श्री लोकाशाह मत-समर्थन
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. (३) एक कमरे में तीर्थंकरों महात्माओं, देश नेताओं के नेक चित्रों के साथ एक श्रृंगार युक्त युवती का चित्र भी एक कौने लगा हुआ है, वहां बालकों और युवकों को ही नहीं, किन्तु दश, स वृद्ध पुरुषों को चित्रावलोकन करने दिया जाय तो आप देखेंगे के-उन दर्शकों में से किसी एक की भी दृष्टि जब उस कौने में दबी ई युवती के चित्र पर पड़ेगी, तब सहसा सभी दर्शक महात्माओं के वेत्रों से मुंह मोड़ कर उसी सुन्दरी के चित्र की ओर ही बढ़ कर खूब चि से उस एक ही चित्र के सामने एक झुण्ड बन जायगा, इस कार एक स्त्री के चित्र से आकर्षित होते हुए मनुष्यों को अनेकों हात्माओं के चित्र भी नहीं रोक सकेंगे, बताइये यह सब प्रभाव केसका? कामदेव मोहराज का ही न?
(४) आज कल कपड़े के थानों पर अनेक प्रकार के चित्र लगे हते हैं, जिसमें अनेकों पर, महात्माजी, सरदार पटेल, पं० नेहरू, लोकमान्य तिलक, आदि देश नेताओं के चित्र रहते हैं, और अनेकों पर होते हैं युवती स्त्रियों के जिन में कोई लता से पुष्प तोड़ रही है तो कोई नौका विहार कर रही है, कोई सरोवर में स्नान कर रही है, जो कोई गालों पर हाथ लगाये अन्यमनस्क भाव से बैठी है, इत्यादि श्रृंगाररस से खूब सने हुए कई प्रकार के चित्र रहते हैं। आप अपने छोटे बच्चे को साथ लेकर कपड़ा खरीदने गये हों, तब व्यापारी आपके सामने अनेक प्रकार के वस्त्रों का ढेर लगा देगा। आप अपने पुत्र से वस्त्र पसन्द करवाइये, आपका चिरंजीव वस्त्र के गुण दोष को नहीं जानकर चित्र ही से आकर्षित होकर वस्त्र पसन्द करेगा, यदि अच्छे और टिकाऊ वस्त्र पर महात्माजी का चित्र होगा और आप उसे देने का कहेंगे तो आपका सुपुत्र कहेगा कि-इस पर तो एक बाबा
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