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________________ [16] 000000000000000000000000000000000000000000000000000000000 क्रं० विषय १६. दशवैकालिक के नाम से की गई कुतर्क का खण्डन १७. निशीथ के नाम से की गई कुतर्क का खण्डन १८. निशीथ के नाम से की गई कुतर्क का खण्डन १६. जयं भुजंतो भासतो २०. मिथ्या बकवाद का खण्डन २१. दिन भर मुखवस्त्रिका का बाँधना २२. मुँहपत्ति में डोरा डालना २३. मुखवस्त्रिका जैन लिंग है २४. मुखवस्त्रिका सहित चित्र २५. थूक से जीवोत्पत्ति की मिथ्या मान्यता है २६. उपयोग का बहाना २७. मुखवस्त्रिका का ऐतिहासिक स्थान २८. उत्तरासंग २६. चौफरसी अष्टफरसी की घात विषयक ३०. भावना शुद्धि का मिथ्या बहाना ३१. कुविकल्प ३२. पोट्टिला का दृष्टान्त ३३. उपसंहार ३४. परिशिष्ट १ - अभिप्राय व सम्मति पत्र ३५. परिशिष्ट २ - समाचार पत्रों से भिन्न २ उद्धरण Jain Educationa International For Personal and Private Use Only पृष्ठ ३६ ४० ४१ ४१ ४३ ४३ ४६ ५२ ५४ ५६ ५७ ६० ६१ ६४ ६५ ६७ ६६ ७० ७७ ८२ www.jainelibrary.org
SR No.003678
Book TitleMukhvastrika Siddhi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRatanlal Doshi
PublisherAkhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year2002
Total Pages104
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size4 MB
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