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3-चंदावेज्झयंपइण्णयं अनु. डॉ. सुरेश सिसोदिया - 35 रूपया , 1991 4-महापच्चक्खाणपइण्णय अनु. डॉ. सुरेश सिसोदिया , रूपया , 19915-दीवसागरपण्णत्तिपइण्णयं अनु. डॉ. सुरेश सिसोदिया , 40-रूपया , 1993 6-जैन धर्म के सम्प्रदाय - डॉ. सुरेश सिसोदिया , 80-रूपया , 1994 7-गणिविज्जापइण्णयं अनु. डॉ. सुभाष कोठारी , 25-रूपया , 1994 8-गच्छायारपइण्णयं अनु. डॉ. सुरेश सिसोदिया , 40-रूपया , 1994 9-वीरत्थओपइण्णयं अनु. डॉ. सुभाष कोठारी , 20-रूपया , 1995 10-संथारगपइण्णयं अनु. डॉ. सुरेश सिसोदिया , 50-रूपया , 1995 11-प्राकृत व्याकरण डॉ. उदयचन्दजैन , सुरेशचन्द्र सिसोदिया, 1997 12-अंग साहित्य : मनन और मीमांसा ( संगोष्ठी आलेख ) 13-चौबीस तीर्थकर : एक पर्यवेक्षण (संगोष्ठी आलेख ) __ इन ग्रन्थों के सम्पादन में डॉ. सागरमल जैन का सहयोग प्राप्त है। श्री कर्नल डी. एस. बया इन प्रकीर्णकों के अंग्रेजी अनुवाद कार्य में संलग्न हैं।
श्री देव कुमार जैन ओरियण्टल रिसर्च इंस्टीट्यूट , आरा ( बिहार )
इस संस्थान में प्रो. राजाराम जैन के निर्देशकत्व में वीर कुंवर सिंह विश्वविद्यालय आरा से निम्न शोध कार्य चल रहे हैं -डी. लिट् स्तर पर-पूर्व मध्यकालीन जैन संस्कृत- साहित्य में वर्णित भारतीय भूगोल पीएच. डी. स्तर- जैनागम साहित्य का प्रमुख साहित्य एवं उसमें वर्णित भारतीय संस्कृति.। इनके अतिरिक्त भारत विख्यात जैन सिद्धान्त भवन के ग्रन्थागार में संग्रहित कगलीय प्राच्य पाण्डुलिपियों का उसके प्रबन्ध संचालक श्री सुबोध कुमार जैन के अथक प्रयत्नों से तथा डॉ. ऋषभ कुमार फौजदार के सम्पादन सहयोग से सूचीकरण एवं मूल्यांकन तीन खण्डों में प्रकाशित किया जा चुका है।
प्रो. (डॉ.) राजाराम जैन के अभिनव शोधकार्य
डॉ जैन ने प्राचीन पाण्डुलिपियों की खोज सम्पादन एवं मूल्यांकन में महारत प्राप्त की है । रइधू ग्रन्थावली के अन्तर्गत उनके 5 ग्रन्थ प्रकाशित हो चुके हैं । वर्तमान में उनके द्वारा सम्पादित पुण्णासवकहा ( महाकवि रइधू ) ग्रन्थ प्रकाशित हुआ है। इसका प्रकाशन दिल्ली की जैनसंस्कृति संरक्षक संस्थान ने किया है। डॉ. जैन के अन्य प्रकाश्यमान ग्रन्थों में विबुधश्रीधर कृत पासणाहचरिउ , शौरसेनी प्राकृत गाथाबद्ध वित्तसारं (893 गाथाएँ), सिद्धतत्थसार ( 1933 गाथाएँ ) अणथमिउकहा एवं बारहभावना प्रमुख हैं ।
प्राकृत और जैनधर्म का अध्ययन
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