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________________ १-अध्यात्म खण्ड बोलनेका ढंग बदल ले, भले ही चर्चाओंका विषय बदल ले परन्तु तात्त्विक दृष्टिसे देखनेपर सब अटके हुए हैं। केवल वेष बदलनेसे अटकन नहीं हटती, केवल क्रिया बदलनेसे अटकन नहीं हटती, केवल बोलनेका ढंग बदलनेसे अटकन नहीं हटती, केवल चर्चाओंका विषय बदलनेसे अटकन नहीं हटती। ये सब अभिनय मात्र हैं। स्वांग बदलनेसे व्यक्तित्व नहीं बदलता, हृदय बदलनेसे व्यक्तित्व बदलता है । व्यक्तित्वका बदलना ही अटकनका हटना है। . परन्तु निराश न होइये, जो आज मुक्त हैं वे भी पहले अटके हुए थे। अटक-अटककर भी बराबर आगे चलते रहे। नदीके प्रवाहमें बहने वाला पत्ता कभी यहां अटकता है कभी वहां अटकता है, परन्तु अटक अटककर भी वह प्रवाहके साथ बराबर आगे बढ़ता रहता है, और एक दिन सागरमें पहुँच जाता है । इसीप्रकार आप भी आगे बढ़िये । अटकन सबके मार्गमें आती है, आई है और आती रहेगी, परन्तु पुरुषार्थका काम सदा प्रयत्न करते रहना है, सदा संघर्षरत रहना है। आप आगे बढ़िये, स्वयं नहीं बढ़ सकते तो दूसरेकी अंगुली पकड़कर बढ़िये । मेरी अंगुली पकड़कर आप आगे बढ़िये और अपनी अंगुली पकड़कर मुझे आगे बढ़ाइये । २. परस्परोपग्रहो जीवानाम् । __ इधर-उधरकी बात सुनकर निराश मत होइये। न ही अपनेसे आगे वालेको देखकर हताश होइये। उससे प्रेरणा प्राप्त कीजिए और चलिये, अटकिये नहीं। पूरे विश्वासके साथ चलिये। जो चलता है सफलता उसकी दासी बन कर रहती है। परन्तु सफलताकी आकांक्षा मत कीजिए, 'मैं कब पहुँचूंगा' इसकी चिन्ता न कीजिये। जो चलता है वह अवश्य पहुंचता है, इतना विश्वास रखिये। आकांक्षासे 'सफलता होगी या नहीं' ऐसी आशंका होती है, विघ्न बाधाओंका भय होता है। जहां आकांक्षा नहीं वहां न Jain Education International For Private & Personal Use Only ___www.jainelibrary.org
SR No.003676
Book TitleKarm Rahasya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJinendra Varni
PublisherJinendra Varni Granthmala
Publication Year1993
Total Pages248
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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